20 July 2018

धड़क मूवी रिव्यू

धड़क मूवी रिव्यू







































आखिरकार, इस शुक्रवार को श्रीदेवी की बेटी जान्‍हवी कपूर की पहली फिल्म धड़क रिलीज हुई, शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर इससे पहले इंटरनैशनल फेम डायरेक्टर माजिद की फिल्म 'बियॉन्ड इ क्लाउड' में अपनी प्रतिभा का लोहा दर्शकों और क्रिटिक्स ने मनवा ही चुके हैं। यही वजह है कि रिलीज़ से पहले ही इस युवा जोड़ी की इस फिल्म का यंगस्टर्स में जबर्दस्त क्रेज रहा। वहीं, इस फिल्म के डायरेक्टर शशांक खेतान की पिछली दोनों फिल्में 'हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया' और 'बद्रीनाथ की दुल्हनिया' बॉक्स आफिस पर हिट रही। यहीं वजह रही धड़क से दर्शकों और ट्रेड की को कुछ ज्यादा ही उम्मीदें हैं। 



बता दें कि यह फिल्म बॉक्स आफिस पर रेकॉर्ड कलेक्शन करने वाली सुपर हिट मराठी फिल्म 'सैराट' का हिंदी रीमेक है। वैसे, इससे पहले सैराट तमिल और पंजाबी में बन चुकी है और इन दोनों फिल्मों को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। आपको ताज्जुब होगा कि मराठी में बनी फिल्म का बजट कुल 04 करोड़ रहा तो फिल्म ने टिकट खिड़की पर 105 करोड़ के करीब कलेक्शन की। ऐसे में शंशाक ने भी अपनी इस फिल्म को भी लगभग वही लुक दिया है जो मराठी फिल्म में नजर आया। इतना ही नहीं 'धड़क' के म्यूजिक में मराठी टच साफ सुनाई देता है। देश-विदेश में रिलीज हुई इस फिल्म का ट्रेड में क्रेज इसी से लगाया जा सकता है कि मल्टिप्लेक्सों में इस फिल्म के औसतन दस से ज्यादा शोज रखे गए हैं तो अडवांस बुकिंग में भी फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स मिला, नई दिल्ली के डिलाइट सिनेप्लेक्स पर पहले तीन की 50 फीसदी से ज्यादा टिकटें अडवांस में ही बिक चुकी है

स्टोरी प्लॉट: धड़क की कहानी राजस्‍थान के उदयपुर शहर से शुरू होती है। राज परिवार से जुड़ी पार्थवी (जाह्नवी कपूर) न तो अपने राजपरिवार के बंधनों और कायदों को दिल से स्वीकार करती है और न ही उसे अपनी आजादी में भाई चाचा या फिर अपने पिता तक का दखल देना पसंद है। दूसरी ओर पार्थवी के पिता ठाकुर रतन सिंह (आशुतोष राणा) को भी कतई बर्दाश्त नहीं कि कोई उसके किसी भी फैसले के खिलाफ जाए। पार्थवी के कॉलेज में पढ़ने वाले मधुकर (ईशान खट्टर) को पहली नजर में ही पार्थवी से प्यार हो जाता है, मधुकर के पिता को मंजूर नहीं कि उनका बेटा ऊंची जाति और राजघराने की पार्थवी से मिले, लेकिन मधुकर और पार्थवी इन सब की परवाह किए बिना एक-दूसरे से मिलते हैं। दूसरी ओर ठाकुर साहब चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं, ऐसे में उन्हें वोटर को रिझाना भी मजबूरी बनता जा रहा है। रतन सिंह को पार्थवी और मधुकर के प्यार के बारे में जब पता लगता है तो मधुकर और उसकी फैमिली पर उनका कहर टूट पड़ता है। ऐसे में दोनों उदयपुर से भाग जाते हैं, अब आगे क्या होगा यह जानने के लिए आपको थिअटर का रूख करना होगा। 

ऐक्टिंग , डायरेक्शन, म्यूजिक: जाह्नवी ने अपनी पहली ही फिल्म में साबित किया कि कैमरा फेस करने से पहले उन्होंने लंबा होमवर्क किया तो ईशान खट्टर एक बार फिर अपने फैन्स की कसौटी पर खरे उतरे। इन दोनों की ऑन स्क्रीन केमिस्ट्री देखते ही बनती है। वहीं, जाह्नवी क्लोजअप सीन्स में ईशान से बड़ी नजर आईं। ठाकुर रतन सिंह के रोल में आशुतोष राणा का जवाब नहीं। मधुकर के दोस्त बने अंकित बिष्ठ और श्रीधरन अपने अपने रोल में फिट रहे। फिल्म के डायरेक्टर शशांक रायजादा ने इंटरवल से पहले की फिल्म को कुछ ज्यादा ही खींच दिया। खासकर पार्थवी और मधुकर की मुलाकातों के लंबे सीन पर आसानी से कैंची चलाई जा सकती थी। इस फिल्म का म्यूजिक रिलीज से पहले म्यूजिक लवर्स की जुबां पर है तो फिल्म के दो गाने 'धड़क है न' और 'पहली बार' का फिल्मांकन देखते ही बनता है। 


क्यों देखें : जाह्नवी और ईशान की बेहतरीन केमिस्ट्री, राजस्थान की पृष्ठभूमि में बनी इस फिल्म की कहानी में बेशक नया कुछ न हो लेकिन कहानी को ऐसे दिलचस्प ढंग से पेश किया गया है कि आप कहानी से बंधे रहते हैं। क्रिटिक्स की तरफ से इस फिल्म को मिले हैं साढ़े 3 स्टार। 

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